Saturday, June 6, 2009

अनसेफ दिल्ली

आरके पुरम सेक्टर-3 के बस स्टॉप पर कुछ लड़कों ने एक युवती पर पत्थर मारे और उसके साथ बदतमीजी की। स्टॉप पर खड़े लोगों में से किसी ने भी उस 22 साल की युवती की मदद करने का जज्बा नहीं दिखाया। यहां तक कि जिस ऑटो में बैठकर बदमाश मौके से फरार हुए, युवती ने उस ऑटो के ड्राइवर से भी मदद की गुहार लगाई, लेकिन उसने भी कुछ नहीं किया। हद तो तब हो गई, जब 100 नंबर पर कॉल करने के बावजूद पीसीआर की गाड़ी करीब 20 मिनट बाद मौके पर पहुंची। जबकि आरके पुरम थाना घटनास्थल से महज कुछ ही दूर है। आरके पुरम के सेक्टर-3 में रहने वाली सपना (बदला हुआ नाम) वसंत विहार स्थित एक एनजीओ में जॉब करती हैं। सपना ने बताया कि गुरुवार की सुबह 8:30 बजे के करीब मैं रोज की तरह ऑफिस जाने के लिए घर से निकली। ऑटो हायर करने के लिए मैं सेक्टर-3 में वेंकटेश्वर टेंपल के पास स्थित बस स्टॉप के पास पहुंची। मैं स्टॉप से कुछ दूर खड़ी होकर ऑटो के आने का इंतजार कर रही थी, तभी एक पत्थर मेरे पैर में आकर लगा। बस स्टॉप के कॉर्नर पर बैठे तीन लड़के मेरी तरफ देखकर जोर-जोर से हंसने लगे। उन तीनों ने ट्रैक सूट पहन रखे थे और देखने में वे पढ़े-लिखे और अच्छे घरों के लग रहे थे। जब मैंने गुस्से से उनकी तरफ देखा, तो उन्होंने कहा कि हम पागल खाने से भागकर आए हैं और ऐसे ही पत्थर फेंकते रहेंगे। आप एक तरफ हट जाओ। शुरू में मैंने उन्हें अवॉइड करने की कोशिश की और ऑटो का इंतजार करने लगी, लेकिन तभी एक और पत्थर मेरे पैरों पर आकर लगा। जब मैंने उनके पास जाकर इस बात का विरोध किया, तो वे मुझसे उलटी-सीधी बातें कहने लगे। इस बीच एक लड़का उठा और उसने अपने साथियों से कहा कि मैं तुम्हें बताता हूं कि पत्थर कैसे मारते हैं। उसने एक बड़ा सा पत्थर उठाया और मेरी तरफ फेंक दिया। मैंने किसी तरह खुद को बचाया। पत्थर पीछे रखे एक डस्टबिन पर लगा। उससे इतनी जोर की आवाज हुई कि वहां खड़े लोग भी चौंक पड़े। उन्होंने मुझसे कहा कि अब बताओ क्या कर लोगी? मैंने जब उनसे कहा कि मैं अभी पुलिस को बुलाती हूं, तो वे हंसने लगे। मैंने 100 नंबर पर कॉल किया, तो रिसीवर ने लोकेशन पूछने के चक्कर में ही 10-15 मिनट लगा दिए। इस बीच उनमें से एक लड़का 623 रूट की ब्लूलाइन में बैठकर वहां से चल दिया। बाकी दो लड़कों ने एक ऑटो वाले को जबरन रुकवाया और उसमें बैठ गए। मैंने ऑटो वाले को घटना के बारे में बताते हुए कहा कि इन्हें लेकर मत जाना, लेकिन उसने मेरी बात अनसुनी कर दी और उन्हें वहां से लेकर चला गया। मैंने ऑटो का नंबर नोट कर लिया था। 15-20 मिनट बाद पुलिस मौके पर पहुंची और मुझे साथ लेकर लड़कों को ढूंढने लगी। हम मुनीरका तक गए, लेकिन वे लड़के कहीं नजर नहीं आए। फिर मैं दफ्तर गई और अपनी पूरी टीम को साथ लेकर थाने पहुंची। वहां मैंने पुलिस को इस घटना की लिखित कंप्लेंट दी। सपना को सबसे ज्यादा दुख इस बात का है कि घटना के वक्त बस स्टॉप पर दर्जनों लोग खड़े हुए थे, लेकिन उनमें से कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया। पुलिस का कहना है कि लड़कों को ले जाने वाले ऑटो को ट्रेस कर लिया गया है। ऑटो ड्राइवर ने बताया कि उसने लड़कों को आरके पुरम सेक्टर-1 में उतारा था। पुलिस ने इसे ईव टीजिंग की घटना मानने से इनकार किया है।