सोलहवीं सदी में बना अतगाह खान का मकबरा वैसे तो एएसआई संरक्षित है। पर फिलहाल यहां सूखते कपड़े चुगली करते हैं यहां गैरकानूनी रूप से बने 12 परिवारों के आशियाने की। मुगल बादशाह अकबर अपनी धाय मां जीजी अंगाह के पति अतगाह खान को पिता समान समझते थे। अतगाह खान का मकबरा इंडियन नैशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट ऐंड कल्चरल हेरिटेज (इन्टैक) द्वारा ए क्लास का हेरिटेज घोषित किया गया है। एक्सर्पट्स के मुताबिक, अकबर काल की कुछ ही इमारतें दिल्ली में बची हैं, 1566-67 में बना यह मकबरा उन्हीं में से एक है। यहां पहुंचने का फिलहाल जो आसान रास्ता है, वह तार पर सूखते कपड़ों के पीछे छिपा रहता है। इसके अलावा निजामुद्दीन दरगाह की ओर का दूसरा रास्ता पतली गली से होकर जाता है, जिसका इस्तेमाल लगभग बंद-सा है। लोहे के एक छोटे से गेट के पीछे जर्जर हालत में खड़ा यह मकबरा आज भी मुगलिया वास्तुकला की शान-ओ-शौकत बयां करता है। जब हमारे रिपोर्टर्स वहां पहुंचे, तो उन्होंने पाया कि मकबरा का कंपाउंड बच्चों का स्पोर्ट्स ग्राउंड बना हुआ है और नीचे का चैंबर बारह परिवारों का आशियाना। हालांकि मार्बल इनले वर्क वाली बाहर की बनावट काफी ठीकठाक हालत में पाई गई, कई जगहों पर प्लास्टर की परतें जरूर उखड़ गई हैं। नीचे के चैंबर तक पहुंचने के लिए एक पतली गली से होकर गुजरना होता है। वहां रहने वाले वाशिंदों ने अंदर का ढांचा पूरी तरह बदल दिया है। फर्श पर संगमरमर की जगह टाइलें लगा दी गई हैं, तो दीवारों पर बने महराब अलमारी की शक्ल में बदल चुके हैं। बाकी की जगह फर्निचर से ढक गई है। एएसआई के मुताबिक, एक खास स्ट्रेटजी के तहत वहां रह रहे लोगों को कहीं और बसाने की कोशिश की जा रही है। उनके अडि़यल रवैये की वजह से फिलहाल एक भी परिवार वहां से हटाया नहीं जा सका है। लेकिन अब धीरे-धीरे उन्हें बात समझ में आ रही है और वे जगह छोड़ने को तैयार हो गए हैं। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि जैसे ही जगह खाली करा ली जाएगी, ढांचे को दोबारा मूल रूप में लाने की कवायद भी शुरू हो जाएगी। अतगाह खान का मकबरा विवादास्पद लाल महल के खंडहरों से कुछ ही दूरी पर स्थित है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इमारत को और अधिक नुकसान न हो, इसके लिए इसे तुरंत खाली कराना जरूरी हो गया था। गौरतलब है कि संरक्षित और गैरसंरक्षित इमारतों से अवैध कब्जा हटाने को लेकर सरकार ने इन दिनों सख्त रवैया अख्तियार कर लिया है। NBT