लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही जातियों और थोक वोटों के ठेकेदारों की बाढ़ सी आ गई है। फरीदाबाद लोकसभा इलाके में पिछले दो दशकों से ऐसे संगठनों की संख्या चुनाव के दिनों में बेतहाशा बढ़ जाती है। जानकारों का कहना है कि फरीदाबाद में चुनावों में वोटों की जमकर खरीदफरोख्त होती है।लोकसभा हो या विधानसभा चुनाव बड़ी पार्टियां अमीर प्रत्याशियों पर दांव लगाती हैं। सूत्रों का कहना है कि वोट को नोट से अपने पक्ष में लाने का खेल खुलकर खेला जा रहा है। सेक्टर-21 निवासी जय दीप सिंह ने बताया कि उनके इलाके में हर रोज नए-नए नेता पैदा हो रहे हैं। हर नेता अपने आप को किसी न किसी उम्मीदवार का खास चहेता बताकर बड़ी-बड़ी बातें करता है। जय दीप सिंह ऐसे नेता उम्मीदवार अपने घर चाय पर बुलाकर आसपास के वोटों पर अपना प्रभाव साबित करके प्रत्याशी से कुछ रकम ऐंठना चाहते हैं। सेक्टर-28 के निवासी भूपेंद्र मलिक ने कहा है कि चुनाव में सामने आने वाले मौसमी नेता सिर्फ उन उम्मीदवारों का दामन थामते हैं, जिनके जीतने की संभावना होती है। ताकि चुनाव के बाद नेताजी को दावे के साथ कहा जा सके कि वोटों का मिलना उसकी सक्रियता का परिणाम है। मेवला महाराजपुर के सुबोध चपराना ने कहा कि मतदाता चकाचौंध से प्रभावित होने लगे हैं। अधिकतर लोग उसी उम्मीदवार को मजबूत मानते हैं जिस के पास पैसा होता है। गाड़ियों का लंबा चौड़ा काफिला होता है। फरीदाबाद में पिछले दो दशक से धनबल वाले बड़ी पार्टियों के उम्मीदवार बनकर मैदान में उतर रहे हैं। इस कारण चुनाव के समय सैकड़ों बरसाती नेता कमाई के लिए सामने आ जाते हैं। छुटभइया नेता धन बल वाले लोगों को राजनीति में सक्रिय होने और चुनाव लड़ने के लिए काफी पहले से तैयार करने लगते हैं। उनका सीधा गणित रहता है कि जब धन खर्च करने वाला चुनाव लड़ेगा तभी उनकी चांदी कटेगी। NBT