पाकिस्तान के बिगड़ते सियासी माहौल ने भारत के लिए गंभीर चिंता पैदा कर दी है। इस चिंता की गूंज गुरुवार को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमिटी की बैठक में सुनाई दी। ऑपरेशन के बाद काम पर वापस लौटे पीएम मनमोहन सिंह की सदारत में हुई इस बैठक में हालांकि भारत ने पाक के घरेलू मामले में न पड़ने की सावधानी बरती, लेकिन बाद में दिए गए बयानों से जाहिर था कि वहां के घटनाक्रम ने भारत की सुरक्षा चिंताएं बढ़ा दी हैं। भारत का मानना है कि यह अस्थिरता आतंकवादी तत्वों का हौसला बढ़ाने वाली साबित होगी। इस बीच पाकिस्तान में सियासी टेम्परेचर खतरनाक हदों को छू रहा है। आसिफ अली जरदारी की सरकार से बुरी तरह खफा नवाज शरीफ वकीलों के आंदोलन को मदद दे रहे हैं। गुरुवार को देश भर के शहरों से वकीलों ने अपनी लंबा कूच जारी रखा, जो 16 मार्च को संसद पर प्रदर्शन तक जारी रहेगा। वकील सुप्रीम कोर्ट के बर्खास्त चीफ जस्टिस इफ्तिखार चौधरी की बहाली की पुरानी मांग दोहरा रहे हैं, जबकि नवाज इस आंदोलन को जरदारी के खिलाफ अपनी जंग में बदल देना चाहते हैं। इस दौरान पाक में दो चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं। एक यह कि सियासी हंगामे से खफा सेनाध्यक्ष परवेज कयानी ने प्राइम मिनिस्टर गिलानी के साथ एक डील की है, जिसके तहत नवाज को शांत करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटने की कोशिश होगी। इस फैसले ने नवाज और उनके भाई शाहबाज को चुनाव के अयोग्य ठहरा कर मौजूदा टकराव की शुरुआत की थी। इस डील के तहत जस्टिस चौधरी की बहाली का रास्ता भी निकाला जा सकता है। लेकिन यह साफ नहीं है कि इस किस्से में जरदारी का रोल क्या है। दूसरी चर्चा यह थी कि अमेरिका जरदारी और नवाज के बीच सुलह की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान का यह संकट आने वाले दिनों में और भी उग्र होगा, जब नवाज और वकीलों का आंदोलन आगे बढ़ेगा। अगर इसे शांत नहीं किया गया, तो यह आशंका मजबूत हो जाएगी कि सेना नेताओं से सत्ता छीन सकती है। यह उथल-पुथल अपने साथ कई बुरी घटनाओं का सिलसिला लाएगी। इसलिए नई दिल्ली में कैबिनेट कमिटी की बैठक के बाद विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा, पाक में शांति और स्थिरता रहने से ही वहां की सरकार उन तत्वों का सामना कर सकेगी, जो वहां मौजूद ढांचे का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए कर रहे हैं। पाकिस्तान एक अहम पड़ोसी है और भारत उम्मीद करता है कि वहां की लीडरशिप सभी मामलों का हल अपने हितों के मद्देनजर शांति से कर लेगी।