ऐसोचैम ने देश भर में खुले रोजगार कार्यालयों को इनके मकसद में नाकाम बताते हुए इन्हें बंद करने की सलाह दी है। ऐसोचैम की ओर से आज खुलासा किया गया कि सरकार द्वारा 21 राज्यों में खोले गए रोजगार कार्यालय पर्याप्त संख्या में लोगों को नौकरी दिलाने में नाकाम रहे हैं। संस्था की अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार देश भर में खोले गए 968 रोजगार कार्यालयों में से औसतन प्रत्येक कार्यालय सौ से अधिक लोगों को भी नौकरी नहीं दिला पाए। बाजार में नौकरियों के मामले में उछाल की स्थिति में भी यह कार्यालय पिछले पांच सालों में रोजगार दिला पाने में नाकाम रहे। इतना ही नहीं राजधानी दिल्ली में भी वर्ष 2006 में एक व्यक्ति को नौकरी दिलाने का खर्च 80 हजार रुपए रहा। दिल्ली के श्रमशक्ति एवं रोजगार विभाग ने वर्ष 2005 में 57 लाख रुपए खर्च कर महज 70 लोगों को नौकरी दिला पाई। ‘नई सहत्राब्दी में रोजगार कार्यालयों की उपयोगिता’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में सरकार से रोजगार एक्सचेंज अधिनियम में संशोधन कर निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के सहयोग से दोनों क्षेत्रों में रोजगार की समन्वित मांग एवं पूर्ति की जरूरतों के मुताबिक नई व्यवस्था गठित करने का अनुरोध किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के 37 रोजगार कार्यालयों में से प्रत्येक कार्यालय महज चार लोगों को नौकरी दिला पाए। इसके अलावा असम के 52 कार्यालयों में से प्रत्येक कार्यालय सात लोगों को, उत्तर प्रदेश के 90 में से प्रत्येक कार्यालय 37, आंध्र प्रदेश के 31 में से प्रत्येक कार्यालय 42 और कर्नाटक के 37 में से प्रत्येक कार्यालय 45 लोगों को नौकरी दिला पाए। इस पर अपनी प्रतिक्रिया में ऐसोचैम के महासचिव डी.एस.रावत ने कहा कि इस तरह की नाकारा संस्थाओं से बंद करना ही बेहतर है और इनकी जगह निजी क्षेत्र के सहयोग के साथ नई व्यवस्था बनाई जानी चाहिए।