केरल में प्रति वर्ष एक मंदिर में कुछ इस तरह का पर्व मनाया जाता है, जब पुरुष श्रद्धालु, स्त्री की वेशभूषा धारण कर हाथों में दीपक लिए पूजा के लिए कतार में खड़े रहते हैं।चावारा में स्थित कोट्टनकुलंगारा देवी मंदिर में 19 दिवसीय इस पर्व का गुरुवार को समापन हो जाएगा। पिछले दो दिनों से देखा जा रहा है कि साड़ियों, चुड़ीदार व स्कर्ट में हजारों लोग मंदिर में पूजा करने पहुंच रहे हैं। मंदिर समिति के एक सदस्य चंद्रमोहन ने कहा कि मंदिर में इस त्योहार में हिस्सा लेने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में हर वर्ष बढ़ोतरी हो रही है। चंद्रमोहन ने कहा, “मंगलवार की रात मंदिर की ओर से महिला वेषधारी लगभग 4,000 पुरुषों को कूपन दिए गए थे। बुधवार की रात इस संख्या में बढ़ोतरी होने की सम्भावना है।” इस त्योहार की शुरुआत के पीछे कई कहानियां हैं। लेकिन सबसे लोकप्रिय कहानी लड़कों के एक समूह को लेकर है। यह लड़के गायें चराते थे और लड़कियों का वेष धारण करते थे। वे सभी एक पत्थर पर फूल और नारियल से बना कोट्टन नामक एक व्यंजन चढ़ाते थे। कहानी में बताया जाता है कि एक बार एक लड़के के सामने देवी प्रकट हुईं और उस स्थान पर मंदिर बन गया। उसी समय से पुरुषों द्वारा नारी वेष धारण कर उस मंदिर में पूजा करने की परम्परा शुरू हो गई। JOSH