सेलुलर सर्विस देने वाली कंपनियों ने अपने ग्राहकों से कहा है कि अगर वे इस तरह के फोन इस्तेमाल करते हैं, तो उनका कनेक्शन काट दिया जाएगा। 15 अंकों वाला आईएमईआई नंबर हर फोन की खास पहचान होता है, लेकिन कई चाइनीज फोन बिना इस नंबर के हैं। ऐसे फोन से होने वाली कॉल को ट्रेस करना मुश्किल होता है और सरकार को डर है कि इससे देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। टेलिकॉम डिपार्टमंट ने सभी ऑपरेटरों से कहा था कि बिना इस नंबर वाले फोन के कनेक्शन काट दिए जाएं। इसके लिए उन्हें 31 मार्च तक की डेडलाइन दी गई है। कंपनियों को 15 अप्रैल तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी। ऐसा न करने पर कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि, सरकार पहले भी यह डेडलाइन आगे बढ़ा चुकी है, ऐसे में देखना होगा कि पहली अप्रैल के बाद वह कितनी सख्ती करती है। सूत्रों के मुताबिक एक प्रमुख सेलुलर सर्विस कंपनी ने अपने ग्राहकों को इस बारे में एसएमएस भेज कर जानकारी देना शुरू कर दिया है। इसमें ग्राहकों से आग्रह किया गया है कि सेवाएं पाते रहने के लिए वे पहली अप्रैल से वैध मोबाइल हैंडसेट इस्तेमाल करना शुरू कर दें। डॉट ने सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों से कहा है कि वे अपने नेटवर्क को इक्विपमंट आइडेंटिटी रजिस्टर से लैस करें, ताकि जब भी किसी फोन से कॉल की जाए, उसका आईएमईआई नंबर ट्रेस किया जा सके। सरकार की इस सख्ती से मोबाइल कंपनियां खुश हैं, क्योंकि चाइनीज माल ने उनके बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है। इंडियन सेलुलर असोसिएशन के प्रेजिडंट पंकज महिंद्रू के मुताबिक बिना आईएमईआई के फोन उसी तरह है जैसे बिना नंबर की गाड़ी। इनके इम्पोर्ट पर भी पाबंदी लगनी चाहिए, मोबाइल इंडस्ट्री सरकार के साथ है। नोकिया इंडिया के डाइरेक्टर (कॉर्परेट अफेयर) अंबरीश बकाया के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती होने के अलावा ये फोन सेफ्टी स्टैंडर्ड पर भी खरे नहीं उतरते हैं, इस बारे में ग्राहकों को जागरूक किए जाने की जरूरत है। जानकारों के मुताबिक देशभर में बिना आईएमईआई नंबर के करीब एक करोड़ से डेढ़ करोड़ तक फोन इस्तेमाल हो रहे हैं। देशभर में 35 करोड़ मोबाइल यूजर हैं। सेलुलर सर्विस कंपनियां एक झटके में इतने सारे ग्राहक गंवाने का रिस्क नहीं लेना चाहती। उनकी इस दिक्कत को देखते हुए सरकार ऐसे कनेक्शन कट करने के लिए डेडलाइन पहले भी कई बार आगे बढ़ा चुकी है। इससे पहले 6 जनवरी की डेडलाइन थी। सूत्रों के मुताबिक बाजार में इस तरह के सॉफ्टवेयर भी डिवेलप किए जा रहे हैं जिनसे फेक फोन पर आईएमईआई नंबर लाया जा सकता है, लेकिन इनकी विश्वसनीयता पर अभी सवाल बने हुए हैं।