Friday, March 20, 2009

बेटे के लिए सेक्स पार्टनर

एक ब्रिटिश महिला अपने गोद लिए बेटे के लिए सेक्स पार्टनर खोजने में जुटी है। लूसी बैक्सटर नाम की इस महिला का 21 वर्षीय बेटा डाउंस सिड्रोम नाम की बिमारी से पीड़ित है। लूसी बैक्सटर ने अपील की है कि कोई महिला उनके बेटे के साथ सेक्स संबंध बनाए ताकि वह कुंआरा न रह जाए। लूसी बैक्सटर डाउंस सिंड्रोम से पीड़ित लोगों के समान अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। वह चाहती हैं कि उनका बेटा ओटो - जो खुद डाउंस सिंड्रोम से पीड़ित है - जिंदगी के सारे मजे करे। बेटे की खुशी के लिए बैक्सटर किसी वेश्या को पैसे देने के लिए भी तैयार हैं। मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक लूसी बैक्सटर ने इंटरनेट पर एक वेबपेज बनाया है और अपने बेटे के साथ संबंध बनाने की अपील की है।
लूसी बैक्सटर के तीन और बेटे ( गोद लिए ) हैं और वह चैरिटी संस्था मैनकैप के लिए काम करती हैं। बैक्सटर का कहना है कि , ' मैं चाहती हूं मेरे बेटे प्यार करें और सेक्स का आनंद लें। मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी यदि ओटो ऐम्सटर्डैम के किसी वेश्यालय में जाता है। मुझे लगता है समाज को डाउंस सिंड्रोम के बारे में समझने की जरूरत है। इससे पीड़ित लोगों को अलग - थलग रखना कहां तक जायज है जबकि इनमें भी वैसी ही भावनाएं और इच्छाएं होती हैं जैसी सामान्य लोगों में। ' उन्होंने कहा कि , ' ओटो की भी आकांक्षाएं औरों की तरह हैं। यदि उसकी गर्लफ्रेंड नहीं होगी तो मुझे बहुत बुरा लगेगा क्योंकि मैंने हमेशा उससे कहा है कि वह सब लोगों की तरह ही है। इसलिए मैं काफी कोशिश कर रही हूं कि उसे एक पार्टनर मिले। मैंने ओटो की परवरिश ऐसे की है कि वह अपने को हीन न समझे। उसकी उम्र के सारे लड़के सेक्स कर रहे हैं ... तो ओटो क्यों नहीं ? मुझे बहुत खुशी होगी यदि वह किसी लड़की को घर लाए। ' 21 वर्षीय ओटो ऐक्टर बनना चाहता है और ' मैकबेथ ' और ' द कैंटरबरी टेल्स ' जैसे नाटकों में काम कर चुका है। ओटो के अलावा लूसी बैक्सटर के तीन और गोद लिए बेटे हैं - जेम्स ( 25), टाइटस (14) और रफाएल (7) । क्या होता है डाउंस सिंड्रोम : डाउंस सिंड्रोम या ट्राइसोमी 21 क्रोमोसोम्स ( गुणसूत्र ) की गड़बड़ी से होने वाली बीमारी है। ऐसे लोगों में एक जोड़ी क्रोमोसोम्स ज्यादा होते हैं जिसकी वजह से इससे पीड़ित लोगों को शरीर बनावट औरों से अलग हो सकती है। ऐसे लोगों का मानसिक विकास भी सामान्य लोगों जैसा नहीं होता। डाउंस सिंड्रोम का पता ब्रिटिश डॉक्टर जॉन लैंगडन डाउन ने 1866 में लगाया था। आम तौर पर प्रति 800-1000 लोगों में से एक व्यक्ति डाउंस सिंड्रोम से पीड़ित होता है।