एक फर्जी फ्रेंडशिप क्लब के नौ सदस्यों को क्राइम ब्रांच की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने गिरफ्तार कर लिया है। इनमें गिरोह का मास्टरमाइंड करतार नगर निवासी राजीव शर्मा (24), उसका चचेरा भाई पंकज शर्मा (21) और सात अन्य युवतियां शामिल हैं। 19 से 25 साल उम्र की ये युवतियां टेली कॉलर बनकर लोगों को अपने जाल में फंसाती थीं। पुलिस ने इनके पास से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लिए गए आठ टेलिफोन और कई बैंक अकाउंट्स की डिटेल्स भी जब्त की हैं। जांच से पता चला है कि इनके अकाउंट में हर महीने करीब 15 लाख रुपये जमा होते थे। अडिशनल कमिश्नर (क्राइम ब्रांच) सत्येंद्र गर्ग के मुताबिक, राजीव स्कूल ड्रॉप आउट है। पहले उसने आजादपुर इलाके में एक ऑफिस किराये पर लेकर सात महीने तक यह रैकिट चलाया। पिछले पांच महीनों से वह मुखर्जी नगर इलाके में बतरा सिनेमा के पास स्थित एक दोमंजिला इमारत के सेकंड फ्लोर पर एसजी इंटरनैशनल फ्रेंडशिप क्लब के नाम से अपना क्लब चला रहा था। ऑफिस का किराया 18,000 रुपये प्रति माह था। क्लब से जुड़ी लड़कियों को वह 5,000 रुपये महीने की सैलरी देता था, लेकिन अगर कोई लड़की अच्छा परफॉर्मन्स करके मेंबर्स की संख्या में इजाफा करती थी, तो उसे अलग से कमिशन भी दिया जाता था। पंकज इस रैकिट को चलाने में राजीव की मदद करता था। ये लोग अखबारों में विज्ञापन देकर लोगों को फंसाते थे। उन्होंने क्लब के मेंबर्स की अलग-अलग कैटिगरी भी बना रखी थी और उनसे उसी हिसाब से चार्ज लिया जाता था। पहली यानी लोअर कैटिगरी उन मेंबर्स की थी, जो घरेलू महिलाओं और कॉलिज की लड़कियों को फोन फ्रेंड बनाने के इच्छुक होते थे। उनकी मेंबरशिप फीस 2,000 रुपये महीना थी। दूसरी यानी मिडल कैटिगरी उन मेंबर्स की थी, जो प्रफेशनल महिलाओं जैसे डॉक्टर, एंजीनियर, टीचर आदि को दोस्त बनाना चाहते थे। उनकी मेंबरशिप फीस 7,000 रुपये महीना थी। तीसरी और सबसे अपर कैटिगरी थी उन ग्राहकों की, जो एयर होस्टेस और मॉडल्स को दोस्त बनाने के ख्वाहिशमंद थे। इनसे हर महीने 15,000 रुपये की फीस ली जाती थी। संपर्क के लिए विज्ञापन के साथ एक फोन नंबर दिया जाता था। जब कोई शख्स मेंबरशिप फीस भरकर मेंबर बन जाता था, तो पहले कुछ दिन तक लड़कियां उससे फोन पर बात करके उससे और ज्यादा पैसे ऐंठने की कोशिश करती थीं, लेकिन जब ग्राहक लड़कियों से मिलने की जिद करता था या और रकम देने से इनकार कर देता था, तो उससे संपर्क बंद कर दिया जाता था। अलग-अलग कैटिगरी के ग्राहकों से बात करने के लिए लड़कियों को अलग-अलग तरह की ट्रेनिंग भी दी जाती थी।