Tuesday, March 3, 2009

सावधानियां बरती जाएं, तो हेपटाइटिस-बी बचा जा सकता

गुजरात के साबरकांठा में हेपटाइटिस-बी से अब तक चार दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। माना जा रहा है कि एक ही सिरिंज से कई लोगों को इंजेक्शन लगाने से यह बीमारी फैली। डॉक्टरों का कहना है कि कुछ सावधानियां बरती जाएं, तो इस जानलेवा बीमारी से बचा जा सकता है। बीमारी के लक्षण बुखार जैसा महसूस होना, थकान, पेटदर्द, बुखार, खाने का मन न करना, डायरिया, पीली पेशाब आना आदि इसके लक्षण हो सकते हैं। रॉकलैंड हॉस्पिटल के गैस्ट्रोइंटेरॉलजी डिपार्टमंट के प्रमुख डॉ. एम. पी. शर्मा के मुताबिक, हेपटाइटिस की शुरुआत में नॉजिया, जोड़ों में दर्द और थकान महसूस होती है। कु छ लोगों को बुखार और लिवर में सूजन के कारण पेट के दाएं ऊपरी हिस्से में तेज दर्द हो सकता है। कुछ लोगों में लक्षण नजर नहीं आते। एम्स के सीनियर गैस्ट्रोइंटेरोलॉजिस्ट डॉ. अनूप सराया का कहना है कि दुनिया में करीब 35 करोड़ लोगों में हेपटाइटिस-बी वायरस रहता है। क्या है हेपेटाइटिस-बी यह लिवर की बीमारी है। इसमें लिवर में सूजन आ जाती है, जिससे वह सही ढंग से काम नहीं कर पाता। लिवर इन्फेक्शन से लड़ता है। ब्लीडिंग रोकता है। खून से दवाओं और दूसरी जहरीली चीजों को अलग करता है और शरीर की जरूरी एनर्जी स्टोर करके रखता है। बीमारी की वजह हेपटाइटिस-बी बीमारी एक वायरस के कारण होती है। ये वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल सकते हैं। संक्रमित व्यक्ति के ब्लड, सीमेन और दूसरे बॉडी फ्लूइड से वायरस फैलते हैं। असुरक्षित सेक्स करने से, एक ही सूई से ड्रग्स लेने, टैटू आदि बनवाने से, हेपटाइटिस-बी के मरीज के साथ रहने, इन्फेक्टेड व्यक्ति के टूथब्रश, रेजर आदि इस्तेमाल करने से, इन्फेक्टेड प्रेग्नंट महिला से बच्चे को यह बीमारी हो सकती है। दवाओं के साइड इफेक्ट, ज्यादा शराब पीने, कुछ टॉक्सिक केमिकल, गॉल ब्लैडर या पैन्क्रियाज के डिसॉर्डर और रीयूज्ड सीरिंज, इन्फेक्टेड ब्लड से होने वाले इन्फेक्शन आदि भी इसकी वजह हो सकते हैं। मरीज से हाथ मिलाने, गले मिलने और साथ बैठने से हेपटाइटिस-बी नहीं फैलता। टेस्ट और इलाज ब्लड टेस्ट, लिवर बायोप्सी भी की जा सकती है। आमतौर पर दवाओं के जरिए इलाज एक साल तक चलता है। जिनका लिवर डैमेज हो चुका होता है, उनका लिवर ट्रांसप्लांट करना पड़ता है। NBT