कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय के एक शोध से संकेत मिले हैं, कि इंटरनेट के इस्तेमाल से अधेड़ उम्र के लोगों और बुजर्गो की दिमागी ताकत बढ़ाने में मदद मिल सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे आयु संबंधी उन मनोवैज्ञानिक बदलावों के मामलों में भी मदद मिल सकती है, जिससे दिमाग की कार्य करने की गति धीमी हो जाती है। यह अध्ययन अमेरिकन जर्नल ऑफ़ गेरियाटिक साइकेट-ी में प्रकाशित हआ है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, दिमाग में कई बदलाव आने लगते हैं। इन बदलावों में कोशिकाओं का संकुचन और उनकी सक्रियता में कमी आना भी शामिल है, जो किसी व्यक्ति की कार्य कुशलता को प्रभावित कर सकते हैं। लंबे समय से माना जा रहा है कि वर्ग पहेली, सुडोकू जैसी दिमाग़ी कसरतों से दिमाग सक्रिय बना रहता है। नवीनतम अध्ययन से संकेत मिला है कि इस सूची में वेब सर्फिग को भी शामिल किया जा सकता है। रोज़ाना वेब सर्च जैसा एक साधारण कार्य बुजर्गो के दिमाग को दुरूस्त रखता है। यह अध्ययन 55 से 76 आयुवर्ग के 24 लोगों पर किये शोध पर आधारित है। इनमें से आधे लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते थे, जबकि बाकी लोग इससे दूर थे। किताब पढ़ने और इंटरनेट पर सर्च करने के दौरान इन लोगों का ब्रेन स्कैन किया गया। दोनों ही कार्यो से दिमाग के उस हिस्से में उल्लेखनीय गतिविधियां दर्ज की गयीं, जो भाषा, अध्ययन, स्मृति और दृश्य क्षमताओं को नियंत्रित करती हैं। वेब सर्च करने के दौरान दिमाग के अलग-अलग हिस्सों में अतिरिक्त उल्लेखनीय गतिविधियां देखी गयीं, जो निर्णय लेने की प्रक्रिया और जटिल तार्किकता को नियंत्रित करती हैं। जबकि वेब सर्च नहीं करनेवालों के दिमाग में ऐसी कोई हलचल नहीं पायी गयी।