Friday, January 2, 2009

भीख मांग कर पढाया बच्चों को

वह भगवान के नाम पर लोगों के सामने हाथ फैलाता। लोग जो कुछ देते उसी से अपना और परिवार का गुजारा चलाता लेकिन वह समय की चालक को भी पहचानता था। जिंदगी भर भीख मांग कर उसने चारों बच्चों को पढाया। आज उसका सबसे बडा पुत्र बीए अंतिम वशZ का छात्र है। यह कहानी है रूपनाथ की।
राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले की सांगावास पंचायत स्थित कुण्डेली गांव के रूपनाथ के सिर से छोटी उम्र में ही पिता का साया उठ गया। कुछ समय बाद मां भी उसे छोड गई। ऐसे में उसे और उसके तीन भाइयों को गांव के लोग खाने को दे देते थे। कुछ बडे होने पर चारों भाई भीख मांग गुजारा करने लगे। लोगों की दुत्कार और उपेक्षा रूपनाथ को अखरती थी। उसने तय किया कि अपने बच्चों से यह काम नहीं करवाएगा।
रूपनाथ के अनुसार उसने अपने चारों बच्चों को स्कूल में भर्ती कराया और तय किया कि िशक्षा में कभी रूकावट नहीं आने देगा। वह अपने साथियों के साथ भीख मांगने बडे शहरों में जाता जिस वशZ अच्छी भीख नहीं मिलती, कर्ज लेकर बच्चों की पढाई जारी रखी। लोगों ने खूब टोका परंतु वह जानता था कि आने वाला समय िशक्षितों का है उसके किसी भी भाई ने भी यह समझ नहीं दिखाई। रूपनाथ का बडा बेटा प्रभुनाथ आमेट महाविद्यालय से बीए कर रहा है। उसने छठी से 12वी तक जवाहर नवोदय विद्यालय राजसमन्द में पढाई की। छोटा बेटा राजूनाथ दसवीं में पढ रहा है इसी तरह खूमनाथ ने नवी में और छोटा बेटा दिनेश पांचवी में पढ रहा है। रूपनाथ के बारे में जब राजसमंद जिला कलक्टर को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने प्रभुनाथ को स्वरोजगार कर्ज के लिए रूरल पॉप योजना के तहत बैंक से ऋण देने के लिए आदेश दिए है।