राजस्थान राज्य के राजसमन्द जिले के कुम्भलगढ इलाके के कालिंजर गांव में बीती रात जमीन से ब्रह्मा की प्रतिमा निकलने से लोगों में कौतुहल पैदा हो गया है। पूजा-पाठ के बाद इस मूर्ति को गांव के मंदिर में रखाा गया है। मध्यप्रदेश से आए संत रामदास का दावा है कि उसका सपना हकीकत में बदला है। दो महीने से सपने में यह गांव और मूर्ति दिख रही थी। सपना सच होने की बात से जहां ग्रामीणों में श्रद्धा जाग गई है तो दूसरी ओर कई ग्रामीण ऐसे भी जिनके गले यह कहानी नहीं उतर रही है। वे इसे कोरा अंधविश्वास बता रहे है। प्रशासन ने इस सम्बन्ध में कुछ भी कहने से इनकार किया है।
कालिंजर गांव में मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले से आए संत रामदास ने सपने के बारे में बताकर खुदाई करने को कहा। संत ने कहा कि पिछले दो माह से उसके सपने में यह गांव और एक आदमी जालम दिख रहा था। रामदास ने खुदाई के लिए गुरुवार शाम सात बजे का समय नििश्चत किया। गांव के बीचो-बीच खण्डरनुमा कच्चे मकान में खुदाई शुरू की। करीब चार फीट तक की खुदाई के बाद रामदास उसमें उतरे। दस मिनट तक उस खड्डे के एक कोने में धूप-दीप किया। इसके बाद खड्डे को कपडे से ढक दिया गया। रात करीब साढे आठ बजे संत लाल कपडे में ढकी ब्रह्मा जी की एक छोटीे मूर्ति के साथ निकला। रामदास ने जल, दूध से स्नान कराकर मूर्ति के दशZन कराए। मूर्ति को ग्रामीणों ने श्रद्धा व्यक्त कर नमन किया। गांव में मूर्ति मिलने की खबर के बाद कालिंजर, सांयो का खेडा, कोयल, झीतरिया, गांगा का गुडा सहित राजसमन्द जिले के विभिन्न गांवों से लोगों का मूर्ति अवलोकन के लिए तांता लगा हुआ है।
इस मूर्ति और इसके पिछे की कहानी पर कई लोगों को संदेह भी है। कुछ लोग इसे चमत्कार तो कुछ अंधविश्वास बता रहे है। खुदाई के बाद कालिंजर के पूर्व सरपंच घासीराम गुर्जर ने कहा कि यह मूर्ति पुरानी नहीं लग रही है। ऐसा भी नहीं है कि लग रहा कि यह लम्बे समय तक जमीन में दबी रही हो। गांव के मोहनलाल गुर्जर का भी कुछ इसी तरह कहना है। गोपाल गुर्जर के अनुसार यह सब तंत्र विद्या के खेल से ज्यादा कुछ भी नहीं है।
कालिंजर गांव में मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले से आए संत रामदास ने सपने के बारे में बताकर खुदाई करने को कहा। संत ने कहा कि पिछले दो माह से उसके सपने में यह गांव और एक आदमी जालम दिख रहा था। रामदास ने खुदाई के लिए गुरुवार शाम सात बजे का समय नििश्चत किया। गांव के बीचो-बीच खण्डरनुमा कच्चे मकान में खुदाई शुरू की। करीब चार फीट तक की खुदाई के बाद रामदास उसमें उतरे। दस मिनट तक उस खड्डे के एक कोने में धूप-दीप किया। इसके बाद खड्डे को कपडे से ढक दिया गया। रात करीब साढे आठ बजे संत लाल कपडे में ढकी ब्रह्मा जी की एक छोटीे मूर्ति के साथ निकला। रामदास ने जल, दूध से स्नान कराकर मूर्ति के दशZन कराए। मूर्ति को ग्रामीणों ने श्रद्धा व्यक्त कर नमन किया। गांव में मूर्ति मिलने की खबर के बाद कालिंजर, सांयो का खेडा, कोयल, झीतरिया, गांगा का गुडा सहित राजसमन्द जिले के विभिन्न गांवों से लोगों का मूर्ति अवलोकन के लिए तांता लगा हुआ है।
इस मूर्ति और इसके पिछे की कहानी पर कई लोगों को संदेह भी है। कुछ लोग इसे चमत्कार तो कुछ अंधविश्वास बता रहे है। खुदाई के बाद कालिंजर के पूर्व सरपंच घासीराम गुर्जर ने कहा कि यह मूर्ति पुरानी नहीं लग रही है। ऐसा भी नहीं है कि लग रहा कि यह लम्बे समय तक जमीन में दबी रही हो। गांव के मोहनलाल गुर्जर का भी कुछ इसी तरह कहना है। गोपाल गुर्जर के अनुसार यह सब तंत्र विद्या के खेल से ज्यादा कुछ भी नहीं है।