Monday, January 19, 2009

बेटे सजा रहे है पिता का सेहरा

महाभारत काल में देवव्रत ने उम्रदराज हो चले पिता शांतनु की एक मछुआरे की कन्या से शादी की साध पूरी करने के लिए अपनी उम्र दे दी थी। आज के बेटों ने उम्र तो नहीं दी, लेकिन अपने 58 वर्षीय पिता के बिछड़े प्यार को साथ कर पिता के जीवन में नई बहार ला दी। आटो मोबाइल कंपनी में एजीएम पद से सेवानिवृत्त अशोक शर्मा ने कभी अपने प्यार आशा के साथ घर बसाने के सपने देखे थे। लेकिन घर की जिम्मेदारी और दबाव के चलते अपने प्रेम को त्याग कर विमल के साथ उन्हें दांपत्य जीवन में बंधना पड़ा।हरियाणा के गुड़गांव में फरूखनगर कस्बे के रहने वाले अशोक शर्मा मूल रूप से उत्तर प्रदेश के कानपुर निवासी हैं। उनका दांपत्य जीवन हर तरह से सुखमय चल रहा था। वो एक जिम्मेदार पति बने। दो बेटे हुए। पत्नी विमल भी उनके साथ खुश थीं। लेकिन वर्ष 2005 में उनकी पत्नी बीमारी से चल बसी। पत्नी की मौत के बाद अशोक की जिंदगी में वीरानगी छा गई। वह उदास रहने लगे। उनके बेटे गौरव एवं रोहित उन्हें खुश देखना चाहते थे। उनके बेटों को पता चला कि उनके पिता 38 वर्ष पूर्व कानपुर की विजयनगर स्थित आशा शर्मा नाम की लड़की से प्यार करते थे। दोनों ने शादी करने के सपने भी देखे थे। जब बेटों ने आशा के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि आशा ने तो शादी ही नहीं की। बेटों ने निश्चय किया कि पिता के प्यार को उनको सौंपना चाहिए। आशा ने भी हामी भर दी। बेटों की मौजूदगी में 16 जनवरी को कानपुर में अशोक ने आशा के संग सात फेरे ले लिए। अशोक कहते हैं कि उन्हें आशा और अपने बेटों पर गर्व है। आशा का प्यार सच्चा था। उसने अब तक शादी नहीं की थी। बेटों ने उन्हें खुश देखने के लिए इस उम्र में भी उन्हें फेरे दिलवाए।