उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में होने वाली 'भात पूजा' पर रोक लगा दी गई है। ज्योतिर्लिंग के क्षरण की आशंका के चलते मंदिर के विद्वत परिषद द्वारा इस संबंध में पारित किए गए प्रस्ताव पर महाकालेश्वर मंदिर की प्रबंध समिति ने मुहर लगा दी है। इतना ही नहीं शिवलिंग (ज्योतिर्लिंग) पर पंचामृत भी सवा किलो से ज्यादा नहीं चढ़ाया जा सकेगा। विधानसभा चुनाव से पहले विद्वत परिषद की बैठक हुई थी, जिसमें कहा गया था कि ज्योतिर्लिंग की भात पूजा होती है, जिसके बाद ज्योतिर्लिंग को भस्म अथवा राखड़ से साफ किया जाता है जिससे ज्योतिर्लिंग को नुकसान होने की आशंका है। इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए मंगलवार को मंदिर प्रबंधन समिति की बैठक हुई जिसमें आम सहमति बनी और भात पूजा पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया। मान्यता है कि उबले हुए चावल यानी भात से महाकालेश्वर के ज्योतिर्लिंग का अभिषेक करने पर श्रद्घालुओं की मनौती पूरी होती है, इसीलिए बड़ी तादाद में श्रद्घालु भात पूजा करते है। यह सिलसिला सालों से चला आ रहा है। मंदिर की प्रबंध समिति के अध्यक्ष शुभकरण शर्मा ने बताया है कि भात पूजा में घी आदि का उपयोग होता है जिससे ज्योतिर्लिंग पर चिकनाहट आ जाती है और उसे खत्म करने के लिए राखड़ आदि से ज्योतिर्लिंग की सफाई की जाती है। उन्होंने बताया कि इससे ज्योतिर्लिंग को कुछ क्षति होने की आशंका बनी रहती है। उन्होंने कहा कि श्रद्घालुओं को सूखे चावल चढ़ाने की अनुमति रहेगी। शर्मा ने बताया है कि ज्योतिर्लिंग पर पंचामृत चढ़ाने की भी मात्रा तय कर दी गई है। उन्होंने कहा कि अब एक दिन में सिर्फ सवा किलोग्राम पंचामृत ही ज्योतिर्लिंग पर चढ़ाया जा सकेगा। अभी तक श्रद्घालु कई-कई किलोग्राम से लेकर क्विंटल तक पंचामृत ज्योतिर्लिंग पर चढ़ाते रहे हैं। शर्मा कहते है कि बड़ी मात्रा में चढ़ाया जाने वाला पंचामृत बर्बाद भी हो जाता था। इसी बात को ध्यान में रखकर तय किया गया है कि चढ़ावे में आने वाले कुल पंचामृत में से सवा किलो ही ज्योतिर्लिंग पर चढ़ाया जाएगा और शेष पंचामृत को प्रसाद के तौर पर वितरित कर दिया जाएगा।