नाथद्वारा। नगर के कला वैभव के प्रति सरकार व जनता की उदासीनता के प्रतीक मीरा मंदिर के हालात इन दिनों बदतर हो गए हैं। मंदिर मंडल की ओर से जारी निर्माण कार्य के चलते मंदिर के वास्तु -स्थापत्य के साथ-साथ प्राचीन भित्ति चित्रों को भी नुकसान पहुंचा हैं। नगर के कलाकारों एवं इन्टेक की पहल के बावजूद मंदिर के संरक्षण का काम आज तक शुरू ही नहीं हो सका है। धुमिल होते भित्ति चित्र तथा गुम्बज में बढती दरारें उदासीनता का ही परिणाम हैं। वनमाली मंदिर परिसर में मीरा मंदिर स्थित हैं। शिलालेखानुसार 99 वर्ष पुराने इस मंदिर के गर्भ गृह में कृष्ण लीला के साथ ही पुष्टिमार्गीय भाव रूपों को प्रमुखता दी गई है। यहां बेल-बूटों व कलात्मक अलंकरण की भरमार हैं। नगर के पारम्परिक कलाकारों द्वारा रूपांकित इन भित्ति चित्रों में गहरे रंगों के साथ ही वस्त्र व मेवाडी चटक रंगों का प्रयोग हुआ हैं। जहां गर्भ गृह के गुम्बज में गोपिकाओं के रासमण्डल को वृत्ताकार रूप में संयोजित किया गया हैं, वहीं खंभो के ऊपर आयताकार खण्डों में बाल लीलाओं एवं वैष्णव वार्ताओं के विषयों को प्रमुखता दी गई हैं। कृष्ण की लीलाओं जैसे गोवर्द्धनधारी कृष्ण, माखन चोरी, छाक लीला, नाग दमन, हिण्डोलना, अन्नकूटोत्सव तथा वार्ता करते महाप्रभुजी एवं शिष्य आदि विषयों को जीवंत रूप में रचा गया हैं।