इलेक्ट्रॉनिक हेयर ड्रेसर, मसाजर, विडियो गेम, वॉक मैन के अलावा और भी कई सारे इलेक्ट्रॉनिक आइटम का यूज युवाओं में बढ़ रहा है लेकिन इनका ज्याद इस्तेमाल सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है। मनोचिकित्सकों का कहना है कि इससे मानसिक रोगों की संख्या में इजाफा हो रहा है। हॉस्पिटल में हर महीने सौ से ज्यादा पेशंट आ रहे हैं। । मनोचिकित्सक कहते हैं कि हमारे पास तनाव के शिकार कई युवा आते हैं। इनसे पूछने पर पता चलता है कि इनके दिन का आधे से ज्यादा वक्त फोन और इंटरनेट सफिर्ंग पर गुजरता है। उन्होंने बताया कि कंप्यूटर की-बोर्ड और फोन से लगातार मेसेज करने से कई तरह की ऑथोर्पेडिक प्रॉब्लम हो सकती है। वहीं बैटरी से चलने वाले फोन ज्यादा चार्ज होने पर ओवर हीट प्रोड्यूस करते हैं, जिससे एक्सप्लोजन भी हो सकता है। इलेक्ट्रॉनिक आइटम बिजली या बैटरी से चार्ज होते हैं इसलिए ये इलेक्ट्रो मैगनेटिक फील्ड प्रड्यूस करते हैं। इनसे निकलने वाली रेडिएशन बॉडी के नेचरल एनर्जी फील्ड को डिस्टर्ब करती है। एक्स-रे की तरह ही ये वेव किसी ऑब्जेक्ट से रुकती नहीं हैं। ये रेडिएशन हमारी बॉडी में पास होकर नार्मल सेल्युलर फंक्शन और बॉयोलॉजिकल प्रोसेस को अपसेट करती हैं। इसके अलावा इन रेडिएशन से सिरदर्द और थकान भी हो सकती है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक आइटम वातावरण के साथ-साथ हेल्थ को भी नुकसान पहुंचाते हैं। हाल में की गई एक स्वीडिश स्टडी के अनुसार मोबाइल फोन रेडिएशन हमारे ब्रेन सेल तक को नुकसान पहुंचा सकते हैं। क्रैनिज मेलन यूनिवर्सिटी के हाल ही में की गई एक रिसर्च से सामने आया कि जो लोग दिन में ज्यादातर समय नेट पर गुजारते हैं, वे औरों के मुकाबले ज्यादा अकेलेपन के शिकार होते हैं। समाज विज्ञानियों के अनुसार इस तरह के डिवाइस ने हमारा काम तो बहुत आसान कर दिया है, लेकिन हम सामाजिक जीवन से भी कटते जा रहे हैं।